अच्छा हुआ कि 30 मई को पहलवान विनेश फोगट, बजरंग पूनिया और साक्षी मलिक ने अपने मेडल गंगा नदी में नहीं बहाए। इन पहलवानों को मेडल अपने पास ही सुरक्षित रखने चाहिए, क्योंकि पुलिस जांच में पता चला है कि जिस महिला पहलवान ने स्वयं को नाबालिग पहलवान (Underage Wrestler) बता कर कुश्ती संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे ब्रज भूषण सिंह पर यौन शोषण का आरोप लगाया था, वह पहलवान बालिग निकली है। इस पहलवान ने रिपोर्ट दर्ज करवाते समय अपनी उम्र को दो वर्ष कम बताया। पुलिस ने ब्रज भूषण सिंह के विरुद्ध पॉक्सो एक्ट में भी मुकदमा दर्ज कर लिया। पोस्को एक्ट के आधार बता कर ही सिंह की गिरफ्तारी की मांग की जा रही थी।
कुछ पहलवान और राजनीतिक दल चाहते थे कि जांच के बगैर ही सिंह को गिरफ्तार कर लिया जाए। गिरफ्तारी नहीं होने पर दिल्ली पुलिस से लेकर पीएम मोदी तक को कटघरे में खड़ा किया जा रहा था। लेकिन अब ब्रजभूषण सिंह के विरुद्ध दर्ज एफआईआर में पॉक्सो एक्ट की धाराएं हटाई जा सकती हैं। ऐसे में सिंह के विरुद्ध छेड़छाड़ के आरोप ही रह जाएंगे। इन आरोपों में भी कितना दम है यह जांच के बाद ही पता चलेगा। यदि छेड़छाड़ के आरोप साबित होते हैं तो यह भी गंभीर बात है। पीड़ित पहलवानों को न्याय मिलना ही चाहिए। यदि पहलवान पुलिस जांच से संतुष्ट नहीं है तो अदालत में चुनौती दी जा सकती है। लेकिन अच्छा हो कि आंदोलनकारी पहलवान देश के अन्य पहलवानों के भविष्य का ख्याल रखे।
जब से आंदोलन की शुरुआत हुई है, तब से पहलवानों के प्रशिक्षण बंद हो गए हैं। कुश्ती महासंघ की ओर से राष्ट्रीय प्रतियोगिताएं भी आयोजित नहीं हो रही है। अब विश्व कुश्ती संघ ने भी धमकी दी है कि यदि पहलवानों का विवाद नहीं निपटता है तो अगले 45 दिनों में भारत की सदस्यता रद्द कर दी जाएगी। यदि भारत की सदस्यता रद्द होती है तो देश का कोई भी पहलवान विश्व प्रतियोगिताओं में भाग नहीं ले सकेगा। जो नाबालिग पहलवान (Underage Wrestler) ब्रजभूषण सिंह पर आरोप लगा रहे हैं उन्हें देश की संवैधानिक प्रक्रिया के तहत ही अपना आवाज को उठाना चाहिए। इसमें कोई दो राय नहीं की हमारे पहलवानों ने विश्व प्रतियोगिताओं में मेडल प्राप्त कर देश का नाम रोशन किया है। ऐसे में पहलवानों को भी पूरा सम्मान मिलना चाहिए।
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