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गुजरात में ऑयल जेटी (Oil Jetty) के विकास के लिए 123.40 करोड़ रुपये की मंजूरी दी

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गुजरात में ऑयल जेटी (Oil Jetty) के विकास के लिए 123.40 करोड़ रुपये की मंजूरी दी
गुजरात में ऑयल जेटी (Oil Jetty) के विकास के लिए 123.40 करोड़ रुपये की मंजूरी दी
गुजरात में ऑयल जेटी (Oil Jetty) के विकास के लिए 123.40 करोड़ रुपये की मंजूरी दी

केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन एवं जलमार्ग और आयुष मंत्री श्री सर्बानंद सोनोवाल ने आज पीपीपी (पब्लिक-प्राइवेट-पार्टनरशिप) मोड के तहत बीओटी (बिल्ड, ऑपरेट, ट्रांस्फर) आधार पर कांडला में सभी प्रकार के लिक्वेड कार्गो के संचालन के लिए दीनदयाल पोर्ट, कांडला में ऑयल जेटी नंबर 09 के विकास की परियोजना को मंजूरी दी है।

इस ऑयल जेटी (Oil Jetty) को विकसित करने की अनुमानित परियोजना लागत 123.40 करोड़ रुपये है जहां परियोजना को पीपीपी मोड के माध्यम से कार्यान्वित किया जाना है और रियायतग्राही परियोजना की फायनेंसिंग की व्यवस्था करेगा। इसकी निर्माण अवधि 24 महीने होने का अनुमान है, वहीं रियायत अवधि 30 साल के लिए होगी। परियोजना रॉयल्टी प्रति टन के राजस्व शेयर मॉडल का पालन करेगी।

श्री सर्बानंद सोनोवाल ने खुशी जाहिर करते हुए कहा, “हमारे माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदीजी ने एक बार कहा था कि कांडला पोर्ट में देश की अर्थव्यवस्था को एक नई दिशा देने की क्षमता है और इस तरह यह परियोजना इस यात्रा में एक और मील का पत्थर साबित होगी क्योंकि यह ऑयल जेटी (Oil Jetty) पोर्ट क्षमता को और बढ़ाने के साथ-साथ इसके पूरे भीतरी इलाकों के लिए समग्र आर्थिक विकास को बढ़ावा देगी।”

प्रस्तावित परियोजना को बंदरगाह की कार्गो हैंडलिंग क्षमता को बढ़ाने के लिए डिज़ाइन किया गया है, जिससे लिक्वेड वैसेल्स के टर्न-अराउंड समय में कमी आएगी। यह परियोजना रियायतग्राही से रॉयल्टी के संग्रह के माध्यम से दीनदयाल पोर्ट की आय में वृद्धि करेगी। समुद्री व्यापार के लिए दीनदयाल बंदरगाह पर निर्भर विशाल भीतरी इलाके और वर्तमान में दीनदयाल बंदरगाह की मौजूदा लिक्वेड हैंडलिंग सुविधाओं पर यातायात की भीड़ को ध्यान में रखते हुए, क्षेत्र की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए बंदरगाह पर क्षमता वृद्धि अत्यंत महत्वपूर्ण है और बदले में सर्वोत्तम संभव तरीके से पूरे देश की अर्थव्यवस्था के विकास को बढ़ावा मिलेगा।

बंदरगाह देश में व्यापार और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। देश में पोर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर का विस्तार, आधुनिकीकरण, विकास और उन्नयन एक सतत प्रक्रिया है जिसमें नए जेटी, बर्थ और टर्मिनल का निर्माण, मौजूदा बर्थ और टर्मिनल आदि का मशीनीकरण और बंदरगाहों पर मानव संसाधन के कौशल का उन्नयन शामिल है। पत्तन, पोत परिवहन एवं जलमार्ग मंत्रालय का ध्यान बंदरगाहों की दक्षता में सुधार लाने और उन्हें अंतर्राष्ट्रीय मानकों पर अपग्रेड करने पर है।

वित्त वर्ष 2023 में, दीनदयाल पोर्ट, कांडला ने 137.56 मीट्रिक टन कार्गो का संचालन किया, जो पिछले वर्ष के 127.10 मीट्रिक टन की तुलना में 8.23 ​​प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है, कांडला में संचालित कार्गो का 70 प्रतिशत सड़क मार्ग से, जबकि 10 प्रतिशत रेल द्वारा और 20 प्रतिशत पाइपलाइन के माध्यम से किया जाता है। 2030 तक, बंदरगाह के 10 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि दर की रिपोर्ट करने की उम्मीद है, जो 267 मीट्रिक टन पर अपने कार्गो को दोगुना कर देगा।

उल्लेखनीय है कि भारत में बंदरगाह क्षेत्र के विकास के लिए अपनी प्रतिबद्धता के तहत पत्तन, पोत परिवहन एवं जलमार्ग मंत्रालय ने गुजरात राज्य में सागरमाला कार्यक्रम के तहत 57,000 करोड़ रुपये की 74 परियोजनाओं को चिन्हित किया है। जिनमें से 9,000 करोड़ रुपये की 15 परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं; 25,000 करोड़ रुपये से अधिक की 33 परियोजनाएं कार्यान्वयन के अधीन हैं और 22,700 करोड़ रुपये की 26 परियोजनाएं विकास के अधीन हैं। सेंट्रल लाइन मिनिस्ट्रीज, प्रमुख बंदरगाह, राज्य समुद्री बोर्ड और अन्य राज्य एजेंसियां ​​इन परियोजनाओं को लागू कर रही हैं।

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