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कोर्ट के आदेश के 17 माह बाद पुलिस ने दर्ज की 5 पुलिसकर्मियों के विरुद्ध FIR

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कोर्ट के आदेश के 17 माह बाद पुलिस ने दर्ज की 5 पुलिसकर्मियों के विरुद्ध FIR
कोर्ट के आदेश के 17 माह बाद पुलिस ने दर्ज की 5 पुलिसकर्मियों के विरुद्ध FIR
कोर्ट के आदेश के 17 माह बाद पुलिस ने दर्ज की 5 पुलिसकर्मियों के विरुद्ध FIR

प्रदेश में आपराधिक मामलों की बढ़ती संख्या के पीछे सरकार का तर्क होता है कि थानों में आने वाले हर व्यक्ति की एफआईआर दर्ज होती है इसलिए आंकडे़ बढ़ रहे हैं लेकिन दूसरी और मुख्यमंत्री के गृहनगर में ऐसे हालात हैं कि न्यायालय के आदेश पर भी पुलिस ने 17 माह तक मामला दर्ज नहीं किया जब प्रकरण उपरी अदालतों में पहुंचा और कार्रवाई होती, जहां से कोई कार्रवाई हो उससे पहले आनन-फानन में मामला दर्ज कर लिया गया यह प्रकरण बहुचर्चित लवली कंडारा एकाउंटर का है।

13 अक्टूबर, 2021 को जोधपुर की रातानाडा थाना पुलिस ने बनाडा रोड पर लवली कंडारा का एकाउंटर किया था

कंडारा के परिजनों ने एससी- एसटी कोर्ट में इस्तागासा दायर कर आरोप लगाया था कि एनकाउंटर पूरी तरह से फर्जी था पुलिस ने जानबूझ कर उसकी हत्या की है जिस पर 2 दिसंबर को कोर्ट ने तत्कालीन थानेदार लीलाराम के अलावा पुलिसकर्मी जितेंद्र सिंह, किशनसिंह, विश्वास व अंकित के विरुद्ध एससी के विरुद्ध नृशंसता निवारण अधिनियम के अलावा षडयंत्र कर हत्या करना, साक्ष्य समाप्त करना की धाराओं में मामला दर्ज करने का आदेश पारित किया लेकिन रातानाडा पुलिस ने मामला दर्ज नहीं किया FIR दर्ज होने के बाद भी पुलिस का कोई अधिकारी इस मामले पर बोलने को तैयार नहीं है।

अक्टूबर 22 में निरीक्षकों के विरुद्ध आदेश

पीड़ित परिवार के अधिवक्ता डीआर मेघवाल ने बताया कि एकाउंटर के बाद लीलाराम को जोधपुर से हटा दिया गया उसकी जगह पर इस दौरान भरत रावत व मूलसिंह बारी-बारी तैनात हुए, लेकिन इन्होंने भी कोर्ट के आदेश की अनदेखी कर मामला दर्ज नहीं किया इस पर भरत रावत व मूलसिंह के विरुद्ध कोर्ट ने नोटिस जारी किए, लेकिन पुलिस ने फिर भी कार्रवाई नहीं की इसके बाद मामला हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गया आने वाले दिनों में दोनों जगह सुनवाई होनी है जिसमें निचली अदालत के आदेश की पालना नहीं होने पर कार्रवाई से बचने के लिए 5 जुलाई को पुलिस ने मामला दर्ज किया।

FIR नं 200 नहीं की गई सार्वजनिक

रातानाडा थाना पुलिस के हैड कांस्टैबल भवानी सिंह ने बतौर ड्यूटी आफिसर ने 5 जुलाई की रात साढे़ 11 बजे FIR संख्या 200 इस मामले की दर्ज की थी हर दिन पुलिस कश्मिनरेट के सभी थानों में दर्ज होने वाले प्रकरणों की सूची सार्वजनिक होती है, उसमें इसकी जानकारी नहीं दी गई इतना ही नहीं गृह मंत्रालय के अधीन चलने वाले ऑनलाइन प्लेटफार्म पर भी इस FIR को सार्वजनिक नहीं किया गया परिजनों को एफआईआर मिलने के बाद सार्वजनिक हुई है अब मामले की जांच एसीपी ईस्ट ओमप्रकाश को सौंपी गई है।

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