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भगवान श्री कृष्ण (Shri Krishna) की बाल लीलाओं के बारे में जानिये, जानकर बोलेंगे “जय श्री कृष्णा”

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भगवान श्री कृष्ण (Shri Krishna) की बाल लीलाएं

पौराणिक कथा के अनुसार भगवान श्री कृष्ण (Shri Krishna) का जन्म वासुदेव और देवकी के गर्भ से कारागार में हुआ था।

फिर वासुदेव ने श्री कृष्ण (Shri Krishna) को गोकुल में यशोदा को दे दिया था। मां यशोदा ने अपने लल्ला कान्हा को बड़े ही लाड़ प्यार से पाला है। भगवान श्री कृष्ण (Shri Krishna) बचपन से ही बहुत नटखट थे और शरारती भी थे। यशोदा मैया और नंद लाला कान्हा के नटखट अंदाज से परेशान रहते थे वहीं उनके साथ ही वहां के गांव वाले भी रहते थे। उनकी बाल बचपन की लीलाएं अपरंपार रही है।

भगवान श्री कृष्ण (Shri Krishna) गांव में गोपियों की मटकी फोड़ा करते थे।

भगवान श्री कृष्ण (Shri Krishna) अपने मित्रों के साथ मिलकर गांव वालों का माखन चुराकर खाते थे। उसके बाद गांव वाले उनकी शिकायत मैया यशोदा के पास लेकर जाते थे। इस वजह से मैया उन्हें डांट लगाती थी।

एक बार श्री कृष्ण (Shri Krishna) अपने मित्रों के साथ यमुना नदी के किनारे गेंद से खेल रहे थे। फिर गेंद अचानक युमना नदी में चली गई। और वही बाल गोपाल एकदम से कदम्ब के पेड़ पर चढ़ कर यमुना में कूद गए। वहां एक कालिया नाग रहता था। श्री कृष्ण (Shri Krishna) ने अपने भाई बलराम के साथ मिलकर जहरीले कालिया नाग का वध किया।

भगवान श्री कृष्ण (Shri Krishna) का राधा जी के साथ एक खास रिश्ता था।

वहीं उनकी गांव की गोपियों से भी खूब बनती थी। पूरे गांव में राधा-कृष्ण (Radha Krishn) की रासलीलाएं खूब चर्चित हैं। गांव की गोपियां भी श्री कृष्ण (Shri Krishna) की बांसुरी की खूब दीवानी थी। जहां श्री कृष्ण (Shri Krishna) अपनी बांसुरी बजाते वही सारी गोपियां दौड़ी चली आती। भगवान श्री कृष्ण (Shri Krishna) गांव की गोपियों के साथ रासलीला करते थे।

भगवान श्री कृष्ण (Shri Krishna) ने गांव वालों को बचाने के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी एक उंगली पर उठा लिया था।

एक बार इंद्र देव ने गुस्से में गांव में बहुत तेज बारिश कर दी। भगवान श्री कृष्ण (Shri Krishna) ने गांव वालों को बचाने के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी एक उंगली पर उठा लिया था और सभी मथुरावासियों को उसके नीचे शरण दी।

देवकी और वासुदेव की शादी की विदाई के समय ही कंस को आकाशवाणी हो गई थी कि देवकी का आठवां पुत्र ही कंस का वध करेगा। और उसी आठवें पुत्र भगवान श्री कृष्ण (Shri Krishna) ने कंस का वध किया।

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