केंद्रीय सड़क, परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) ने मंगलवार को करनाल में कहा कि देश का किसान अन्नदाता तो है लेकिन अब उसे ऊर्जादाता बनना चाहिए। गेहूं, चावल, मक्का और गन्ना उत्पादन से किसानों की गरीबी दूर नहीं हो सकती। अभी हम 16 लाख करोड़ रुपये का जीवाश्म ईंधन आयात करते हैं। इसमें डीजल, पेट्रोल और गैस शामिल है। ऐसे में अगर किसान बायो सीएनजी, पीएनजी और हाइड्रोजन के उत्पादन में सहयोग देगा तो 10 लाख करोड़ रुपये किसानों के पास जाएंगे। वे मंगलवार को भारतमाला परियोजना के तहत रिंग रोड का शिलान्यास करने के बाद लोगों को संबोधित कर रहे थे। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि विदेश से ईंधन का आयात पूरी तरह से बंद करना होगा।
इसके लिए नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) ने कहा की किसानों का ऊर्जादाता होना आवश्यक है। आज हम एथेनॉल की दो लाख करोड़ रुपये की अर्थव्यवस्था बनाने की ओर बढ़ रहे हैं। कहा जाता था कि पंजाब-हरियाणा में बड़े पैमाने पर पराली जलाने से दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण होता है लेकिन आज खुशी की बात है कि किसानों के सहयोग से पराली से बायो फ्यूल बनाने की दिशा में हम आगे बढ़ रहे हैं। पानीपत स्थित इंडियन ऑयल की रिफाइनरी ने मेरे आग्रह पर पराली से एक लाख टन बायो एथेनॉल और 150 टन बायो बिटुमिन बनाने का उद्योग शुरू किया है। बिटुमिन के बिना बायो एविएशन फ्यूल का उत्पादन भी जल्द शुरू होगा। विश्व में हवाई जहाज के ईंधन में दो प्रतिशत बायो एविएशन फ्यूल मिलाने का कानून बना है। इसका फायदा किसानों को होगा।
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