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गलत पर्सेप्शन बन गया- मैं मुख्यमंत्री बने रहना चाहता था सीएम अशोक गहलोत (CM Ashok Gehlot) बोले

गलत पर्सेप्शन बन गया- मैं मुख्यमंत्री बने रहना चाहता था सीएम अशोक गहलोत (CM Ashok Gehlot) बोले

सीएम अशोक गहलोत (CM Ashok Gehlot) बोले ने चुनावी साल में सचिन पायलट से खींचतान खत्म करके एकजुटता का दावा किया है। गहलोत ने अपने बारे में चल रही सियासी धारणाओं के बारे में भी नए खुलासे किए हैं। गहलोत ने किसी जमाने में सियासी कंपीटीटर रहे सीपी जोशी को अपनी कमजोरी बताया है। साथ ही परसराम मदेरणा की जगह खुद सीएम बनने की धारणा को गलत बताते हुए दावा किया है 1998 में वे मुख्यमंत्री के दावेदार ही नहीं थे।

गहलोत ने लल्लनटॉप को दिए इंटरव्यू में कहा कि एक गलत पर्सेप्शन बन गया कि मैं अध्यक्ष नहीं बनना चाहता था, c

पायलट जब ढाई साल के थे तब पहली बार मिला

पायलट से पहली बार मुलाकात के सवाल पर गहलोत ने कहा- जब सचिन ढाई साल के थे, तब मैं उनके यहां पहली बार गया था। यह ढाई साल की उम्र उन्होंने मुझे बताई, मल्लिकार्जुन खड़गे के घर बैठक में हम आपस में मिले तब यह बात चल पड़ी। तब उन्होंने ही यह ढाई तीन साल क उम्र में मिलने वाली बात बताई। साल 1980 में राजेश पायलट और मैं साथ में संसद में घुसे थे। तब से हमारा एक-दूसरे के घर आना जाना है, ऐसी क्या बात है?

फोटो हाल ही में सीएम अशोक गहलोत (CM Ashok Gehlot) के दौरे का है। एक वेबसाइट को दिए इंटरव्यू में उन्होंने अपने राजनीतिक सफर को लेकर खुलकर बात की।

एक वेबसाइट को दिए इंटरव्यू में उन्होंने अपने राजनीतिक सफर को लेकर खुलकर बात की।
आज भी धारण है कि मैं अध्यक्ष नहीं बनना चाहता था, मुख्यमंत्री रहना चाहता था
गहलोत ने कहा- मेरा कांग्रेस अध्यक्ष बनने का तो तय हो गया था, दो दिन बाद मुझे फॉर्म भरना था। मैं विधायक दल का नेता था, मुख्यमंत्री के तौर पर मेरे रहते हुए कल्पना के बाहर की बात थी कि दो लाइन का वह प्रस्ताव पास नहीं करवा पाया।

लोगों के अंदर पर्सेप्शन क्या है कि मैं अध्यक्ष बनना नहीं चाहता था, मैं मुख्यमंत्री रहना चाहता था, इसलिए सब कुछ मेरे द्वारा ही प्रायोजित था। यह पर्सेप्शन आज भी है, मुझे मालूम है। कई पर्सेप्शन ऐसे बन जाते हैं, जो खत्म नहीं होते, उनमें एक यह भी है। फिर भी उस घटना का दुख है।

परसराम मदेरणा सीएम उम्मीदवार ही नहीं थे
परसराम मदेरणा और सीपी जोशी की उम्मीदवारी के बावजूद दो बार सीएम बनने के सवाल पर गहलोत ने कहा- सच्चाई यह है कि परसराम मदेरणा मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार ही नहीं थे। मदेरणा साहब को हेल्थ प्रॉब्लम थी। उनकी एंजियोप्लास्टी बिगड़ गई थी। वे कोई उम्मीदवार नहीं थे।

जब मैं जीतकर उनके पास पूछने के लिए गया तो उन्होंने साफ कहा कि मैं उम्मीदवार ही नहीं हूं। तुम जाओ जब फॉर्मेलिटी होने लगे तो मुझे सूचना करना मैं वहां विधायक दल की मीटिंग में आ जाऊंगा। मदेरणा ने अपने सबसे बड़े फॉलोअर प्रद्युम्न सिंह और उनके दामाद हरेंद्र मिर्धा को मेरे पास भेज दिया। प्रद्युम्न सिंह बाद में वित्त मंत्री बने। इस माहौल में मैं मुख्यमंत्री बना था।

मदेरणा परिवार को थोड़ी बहुत तकलीफ होती है
सीएम अशोक गहलोत (CM Ashok Gehlot) ने कहा- परसराम मदेरणा के साथ हमारे रिश्ते बहुत अच्छे रहे हैं। पर्सेप्शन यह है, उनकी जगह मैं मुख्यमंत्री बन गया। हो सकता है परिवार वालों को थोड़ी बहुत तकलीफ होती है। दिव्या मदेरणा भी जानती है मेरे और परसराम मदेरणा के रिश्ते क्या थे? जब वह छोटी बच्ची थी, मैं मदेरणा से बात करता था तो वह पास बैठी रहती थी।

इस इंटरव्यू में सीपी जोशी और सीएम के विवाद पर सीएम अशोक गहलोत (CM Ashok Gehlot) ने कहा था कि सीपी जोशी मेरे कमजोरी है।

सीपी जोशी-जुगल काबरा मेरी कमजोरी
साल 2008 में सीपी जोशी के सीएम बनने से चूकने के सवाल पर कहा- मेरे और सीपी जोशी के संबंध अलग तरह के हैं। उस वक्त भी अलग तरह के थे और आज भी हैं, आगे भी रहेंगे। आप लोगों को लगता है कि अलग तरह के नहीं थे। जब सीपी जोशी एआईसीसी के महामंत्री थे और केंद्रीय मंत्री थे, तब कई डेलिगेशन जाते थे मुख्यमंत्री बदलो, सीपी जोशी को बनाओ तो हमारे रिश्ते अलग तरीके थे।

हमारे संबंध अलग तरह के हैं और जिंदगीभर अलग तरह के ही रहेंगे। क्योंकि लाइफ में कई बातें ऐसी होती हैं, कई बार फ्रेंडशिप होती है,अटैचमेंट हो जाता है। मैं मजाक में कई बार कहता हूं सीपी जोशी और जुगल काबरा मेरी कमजोरी हैं। जुगल काबरा की डेथ हो गई है। यह दो मेरी कमजोरी रही है। जुगल काबरा बचपन से मेरे साथ ही था, वह ज्यादा कुछ नहीं बन पाए। आप समझ जाइए सीपी जोशी उसी श्रेणी में आते हैं।

सीपी जोशी एआईसीसी में बैठकर कहते थे मेरे नेता तो अशोक गहलोत हैं
गहलोत ने कहा- उस वक्त सीपी जोशी को मुख्यमंत्री बनाने के लिए उनके फॉलोअर ट्राई करते थे, तब भी वे एआईसीसी में बैठ कर बात करते थे कि मेरे नेता तो अशोक गहलोत हैं। जब एक बार उदयपुर में उनकी बर्थडे मनाई गई तो उन्होंने कह दिया कि पहले मैं फॉलोअर था अब कॉलोबोरेटर हूं। सीपी जोशी इंटेलेक्चुअल है, प्रोफेसर हैं तो उनकी भाषा उस तरह की होती है। कई लोगों ने उस बयान को घुमाया। हमारे आपसी सम्मान में कभी कोई कमी नहीं आई।

हमने सीपी को स्पीकर बनाने के लिए राहुल गांधी को कन्वींस किया
गहलाते ने कहा- जिस व्यक्ति को 5 साल तक मुख्यमंत्री बनाने के लिए डेलिगेशन जाते थे और कहते थे कि गहलोत को हटाकर सीपी जोशी को बनाइए। जब स्पीकर का चुनाव हुआ तो मैंने और अविनाश पांडे ने मिलकर राहुल गांधी को कन्वींस किया कि सीपी जोशी को स्पीकर बनाइए है, वे हमारे लिए उपयुक्त रहेंगे।

सीएम ने साफ किया कि वे कभी बचपन में राहुल और प्रियंका गांधी से नहीं मिले थे। इसे लेकर गलत पर्सेप्शन बनाया गया।

बचपन में राहुल-प्रियंका को जादू सिखाने की बात गलत
गहलोत ने कहा- कई लोग कहते हैं कि बचपन में राहुल गांधी,प्रियंका गांधी को मैंने मैजिक सिखाया। अब आप बताइए क्या-क्या किस्से लोग बना देते हैं। मैं बचपन में राहुल गांधी और प्रियंका गांधी से कभी नहीं मिला। फिर भी बातें चलती रहती हैं कि मैंने राहुल प्रियंका को बचपन में जादू सिखाया, इसलिए उनके परिवार का सदस्य बन गया, यह गलत पर्सेप्शन है। अब पर्सेप्शन बना दिया जाता है, उसका क्या कर सकते हैं। कई बार पर्सेप्शन से राजनीति चलती है।

फोटो 11 मई का है। जब पायलट ने जनसंघर्ष यात्रा की शुरुआत अजमेर से की थी। अब सीएम ने साफ किया कि वे परिवार के सदस्य की तरह हैं।
सचिन से सुलह परमानेंट, सब मिलकर चलेंगे
​​​​ गहलोत ने कहा- सचिन पायलट से सुलह परमानेंट है। दिल्ली में सब हो गया। जब राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे, केसी वेणुगोपाल की मौजूदगी में जब प्यार मोहब्बत से सब सिखा दिया कि सबको मिलकर चलना है तो बात खत्म हो जाती है। फिर सब राजी है और राजी रहना चाहिए। अब सवाल व्यक्ति का नहीं है, पार्टी और देश का है, इसलिए मैं चाहता हूं सब मिल कर रहे।

सचिन पायलट को नकारा-निकम्मा कहने और बयानों पर गहलोत ने कहा- अब स्थिति क्या है, वह घटना दुर्भाग्यपूर्ण थी, उस पर मुझे कुछ नहीं कहना। क्योंकि मैं कोई बात बोलूंगा तो दूरी बढ़ती है। हम चाहते हैं प्यार मोहब्बत से रहें, एकजुट रहकर हम लोग वापस सरकार बनाएं।

आरपीएएसी भंग करने का प्रावधान नहीं, पायलट परिवार के मेंबर
पायलट की आरपीएससी भंग करने की मांग पर गहलोत ने कहा- वह तो हमारे परिवार के सदस्य हैं, उनकी बात का वजन रहता है तो मैंने स्टडी करवाई। संविधान के अंदर ऐसा कोई कानूनू नहीं है कि आप इसको बंद करके नया बना दो, यह संविधान बॉडी होती है, हम लोग इसको भंग नहीं सकते हैं।

सीएम ने इंटरव्यू में बताया कि उनके कई बयानों को गलत तरीके से पेश किया गया था।

वसुंधरा राजे की सहमति की चर्चाओं के सवाल पर गहलोत ने कहा- वसुंधरा राजे से बैठकर मेरी कभी बात ही नहीं हुई। किसी से सबसे कटु संबंध राजनेताओं के रहे तो मेरे वसुंधरा राजे से रहे, हमारे तो टर्म भी नहीं रहे। यह तो इतिहास गवाह है।

कभी किसी समारोह में मुलाकात हो गई तो अलग बात है, जबकि 20 साल में कभी अकेले बैठकर बातचीत नहीं हुई। सरकार बचाने वाले बयान का गलत अर्थ निकाला गया था। मैंने राजस्थान में सरकारें गिराने की परंपरा नहीं रहने का कैलाश मेघवाल का बयान देकर वसुंधरा राजे का जिक्र किया था, उस बयान को गलत रूप में पेश किया गया था।

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