कर्नाटक। दो दिन पहले जारी अपने चुनाव घोषणापत्र में कर्नाटक में बजरंग दल(Bajrang Dal) पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा के बाद अब कांग्रेस ने पलटी मार ली है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री वीरप्पा मोइली का कहना है कि ऐसा कोई प्रस्ताव ही नहीं है। चुनाव से महज चार-पांच दिन पहले इस तरह का असमंजस “सेल्फ गोल” से कम नहीं है। साथ ही फिर से यक्ष प्रश्न खड़ा हो गया है कि आखिर पार्टी को नियंत्रित कौन कर रहा है? पार्टी के लिए रणनीति कौन बना रहा है और उसे हरी झंडी कौन दिखा रहा है?
यह सवाल इसलिए खड़ा हुआ है कि क्योंकि बताया जाता है कि खुद पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे इस फैसले से सहमत नहीं थे और गुरुवार को वरिष्ठ नेता वीरप्पा मोइली ने भी ऐसे किसी प्रस्ताव को नकार दिया। हालांकि दो दिन पहले ही कांग्रेस घोषणापत्र में इसकी घोषणा की गई थी। अब पार्टी के अंदरखाने यह चर्चा तेजी पकड़ गई है कि आखिर किसके निर्देश पर इसकी घोषणा हुई थी। वहीं भाजपा की रणनीति से पार पाने के लिए अब कर्नाटक के कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष डी शिवकुमार ने घोषणा की है कि पार्टी सत्ता में आई तो पूरे प्रदेश में बजरंगबली के मंदिर बनाएगी।
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कर्नाटक में भाजपा और कांग्रेस के बीच तीखी लड़ाई मानी जा रही है और ऐसे में कांग्रेस ने बजरंग दल की तुलना प्रतिबंधित संगठन पीएफआइ से करते हुए बजरंग दल(Bajrang Dal) पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की थी। यह खासकर मैसुरु क्षेत्र की स्थिति को ध्यान में रखकर किया गया था। ओल्ड मैसुरु क्षेत्र की 61 सीटों में मुख्य रूप से लड़ाई कांग्रेस और जनता दल (एस) के बीच है। यहां भाजपा 12 सीटों पर सिमटी थी। कांग्रेस का ध्यान मुस्लिम वोट को एकजुट करने पर था ताकि यहां जनता दल को सीमित कर बडी संख्या में सीटें जीती जा सकें। ध्यान रहे कि इस क्षेत्र में ठीकठाक मुस्लिम वोट जनता दल (एस) को मिलता रहा है। लेकिन इस एक क्षेत्र में बढ़त की जुगत में कांग्रेस बाकी के कर्नाटक को भूल गई।
खासकर तटीय क्षेत्र, जहां भाजपा मजबूत है लेकिन इस बार कांग्रेस पांच-सात सीट पर टक्कर देने की स्थिति में थी। बेंगलुरु में कुल 28 सीट हैं जहां भाजपा फिलहाल 15 सीट पर काबिज है और कांग्रेस 12 पर। बताया जाता है कि कांग्रेस के इस फैसले से न सिर्फ जनता में बल्कि पार्टी कार्यकर्ताओं में भी रोष था।
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हो सकता है कि बजरंग दल(Bajrang Dal) मुद्दे को उछालकर कांग्रेस ओल्ड मैसुरू क्षेत्र में कुछ ज्यादा सीटें जीत ले लेकिन बाकी के कर्नाटक में इसका उल्टा असर अभी से दिखने लगा। खासकर बेंगलुरु शहर से कांग्रेस के धुलने की आशंका गहराने लगी थी क्योंकि यहां बड़ी संख्या प्रवासियों की भी है। गौरतलब है कि भाजपा ने इस मुद्दे को लपक लिया था मंगलवार को ही पूरे प्रदेश में हनुमान चालीसा का पाठ करने की योजना भी तैयार हो गई थी।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का शनिवार और रविवार को बेंगलुरु में रोड शो भी आयोजित होने वाला है। दो दिन पहले ही उन्होंने इस मुद्दे पर तीखी प्रतिक्रिया जताते हुए कहा था कि कांग्रेस के शासनकाल में पहले श्रीराम ताले में बंद थे और अब बजरंगबली के भक्तों को जेल में बंद करने की बात हो रही है।
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आखिर मंजूरी दी तो दी किसने बजरंग दल(Bajrang Dal) पर प्रतिबंध को लेकर उल्टे पड़े दांव को देखते हुए ही कांग्रेस की ओर से मोइली को स्थिति स्पष्ट करने को कहा गया। अब परेशानी यह खड़ी हो गई है कि ओल्ड मैसुरू क्षेत्र के मुस्लिम वोटर असमंजस में रहेंगे और जदएस इसका लाभ उठाने की कोशिश करेगा। वैसे इस सवाल का उत्तर आना बाकी है कि कांग्रेस के घोषणापत्र को आखिरी मंजूरी किसने दी थी। मोइली ने कहा कि राज्य सरकार प्रतिबंध नहीं लगा सकती है लेकिन उसके आगे यह भी जोड़ा कि प्रदेश अध्यक्ष डी शिवकुमार इस विषय पर स्थिति स्पष्ट करेंगे।
घोषणापत्र कमेटी के अध्यक्ष जी परमेश्वर भी गोल-गोल बातें कर रहे हैं कि स्पष्ट रूप से किसी संगठन का नाम नहीं लिया गया था। हालांकि दो दिन से कांग्रेस ने ऐसी कोई सफाई नहीं थी। यानि ऐसे वक्त में जब चुनाव में महज चार दिन का वक्त शेष है, कांग्रेस के अंदर एक-दूसरे के पाले में गेंद डाली जा रही है।
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