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महासागरों की स्थिति (Status of the oceans) में सुधार के लिए सामूहिक कार्रवाई

महासागरों की स्थिति (Status of the oceans) में सुधार के लिए सामूहिक कार्रवाई

विश्व पर्यावरण दिवस (5 जून) एक ऐसा महत्वपूर्ण अवसर होता है, जो पर्यावरण के प्रति जागरूकता लाने और आवश्यक कार्रवाई करने के लिए देश भर से लाखों लोगों को एक साथ लेकर आता है। भारत सरकार के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने इस वर्ष मिशन लाइफ पर जोर देते हुए विश्व पर्यावरण दिवस 2023 मनाने की परिकल्पना की है। लाइफस्टाइल यानी पर्यावरण के लिए स्थायी जीवन शैली की अवधारणा को माननीय प्रधानमंत्री द्वारा ग्लासगो में 2021 के यूएनएफसीसीसी सीओपी26 में विश्व नेताओं के शिखर सम्मेलन में रखा गया था, उस समय उन्होंने स्थायी जीवन शैली और कार्य प्रणालियों को अपनाने के उद्देश्य से एक वैश्विक लक्ष्य को फिर से स्थापित करने का आह्वान किया था। इस समारोह के उपलक्ष्य में मिशन लाइफ पर देश भर से जन सहयोग करने के लिए विशेष आयोजन किये जा रहे हैं।

जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया

पटना स्थित जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया ने मिशन लाइफ में जनभागीदारी के लिए कई कार्यक्रम आयोजित किए और पटना शहर में विभिन्न स्थानों पर विभिन्न आयु वर्गों के लोगों ने कार्यक्रमों में हिस्सा लिया। करीब 50 छात्र किलकारी बाल भवन पहुंचे। पटना वीमेंस कॉलेज में दिनांक 29.5.2023 को जल संरक्षण जागरूकता अभियान का आयोजन किया गया, जिसमें जैव प्रौद्योगिकी, वनस्पति विज्ञान और स्थूल जीव विज्ञान की 55 से अधिक छात्राओं ने भाग लिया। पटना और उसके आसपास के उपनगरीय क्षेत्रों में भी मिशन लाइफ कार्यक्रम आयोजित किया गया था, जिसमें 50 से अधिक स्थानीय लोगों को जल संरक्षण के मुद्दे पर जागरूक किया गया। इस दौरान सभी ने प्रतिज्ञा भी ली।

गोविन्द बल्लभ पंत राष्ट्रीय हिमालय पर्यावरण संस्थान (एनआईएचई)

गोविन्द बल्लभ पंत राष्ट्रीय हिमालय पर्यावरण संस्थान (एनआईएचई) के गढ़वाल क्षेत्रीय केंद्र (जीआरसी) ने मिशन लाइफ की ‘अपशिष्ट कम करें’ थीम के तहत पौड़ी-श्रीनगर राजमार्ग पर सफाई अभियान संचालित किया। इस दौरान कुल 14 किलो प्लास्टिक कचरा एकत्र कर नगर निगम के कचरा संग्रहण केंद्र में निस्तारित किया गया है। इसके अलावा, जैव विविधता तथा ‘स्वस्थ जीवन शैली’ को बढ़ावा देने के लिए ऊपरी भक्तियाना क्षेत्र में बहुउद्देश्यीय पेड़-पौधे लगाए गए। इस कार्यक्रम में संकायों, कर्मचारियों एवं शोधकर्ताओं सहित कुल 28 प्रतिभागियों ने भाग लिया। सभी प्रतिभागियों ने पर्यावरण के अनुकूल आदतों को अपनाने के लिए लाइफ शपथ ली।

राष्ट्रीय सतत तटीय प्रबंधन केंद्र (एनसीएससीएम)

पर्यावरण के लिए स्थायी जीवन शैली की अवधारणा यानी कि मिशन लाइफ के सिद्धांतों को बढ़ावा देने के लिए चल रहे प्रयासों के तहत एनसीएससीएम के वैज्ञानिकों ने तमिलनाडु राज्य की मन्नार की खाड़ी (जीओएम) में स्थित एक तटीय शहर कीलाकाराई के समुद्र तट पर सफाई और जागरूकता अभियान संचालित किया। मन्नार की खाड़ी भारत के दक्षिण-पूर्वी तट पर स्थित है और इसे मुख्य रूप से इसकी अद्वितीय वनस्पतियों एवं जीवों के कारण मरीन बायोस्फीयर रिजर्व के रूप में मान्यता प्राप्त है। यहां पर तटीय व समुद्री वनस्पतियों और जीवों की 4,223 प्रजातियां संरक्षित हैं। इसमें भारत का सबसे महत्वपूर्ण समुद्री राष्ट्रीय उद्यान भी है।

इसके अतिरिक्त, यह तट व्हेल, डॉल्फिन, लुप्तप्राय डगोंग और समुद्री कछुओं के प्रवास के लिए अच्छी तरह से जाना जाता है। प्रवाल भित्तियां और समुद्री घास इकोसिस्टम में कई तरह से सहायता (जैव विविधता सहयोग, सहायक आजीविका, तटीय संरक्षण, कार्बन पृथक्करण, पर्यटन एवं मनोरंजन, जल गुणवत्ता रखरखाव, सांस्कृतिक व सौंदर्य गुणवत्ता) प्रदान करते हैं, जो पर्यावरण तथा मानव कल्याण दोनों के लिए महत्वपूर्ण हैं। मूल्यवान इकोसिस्टम में कई तरह से सहायता मिलते रहने के निरंतर प्रावधान को सुनिश्चित करने के लिए इन पारिस्थितिक तंत्रों की रक्षा और संरक्षण महत्वपूर्ण है। मन्नार की खाड़ी को अपने उच्च महासागरीय मत्स्य संसाधनों तथा वाणिज्यिक मछली पकड़ने के तलछट के लिए जाना जाता है और यह लगभग 200 मछली पकड़ने वाले गांवों की आजीविका में मदद करती है। हालांकि, मन्नार की खाड़ी ने हाल के वर्षों में कई पर्यावरणीय चुनौतियों का सामना किया है, जिसमें समुद्री कूड़े से होने वाले खतरे भी शामिल हैं।

मछुआरे और नाव के मालिक स्वच्छता अभियान के लिए पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील इन इकोसिस्टम से समुद्री कूड़े को साफ करने के प्रयास में स्वेच्छा से एनसीएससीएम की टीम में शामिल हो गए हैं। लगभग 10 स्थानीय मछुआरों ने इस कार्यक्रम में भाग लिया और गोताखोरों ने खाली बोतलों, फेंकी गई चीजों, गिरे हुए सामान, या फिर छोड़े गए मछली पकड़ने के गियर (एएलडीएफजी), रस्सियों, पैकिंग सामग्री तथा खाद्य आवरण सहित समुद्री तल से 22 किलो कचरा बाहर निकला। एनसीएससीएम के वैज्ञानिकों ने लगभग 30 मछुआरों को मिशन लाइफ के विषयों और जिम्मेदार एवं पर्यावरण के अनुकूल मछली पकड़ने की प्रणालियों तथा ऊर्जा व जल संरक्षण के महत्व के बारे में जागरूक किया।

किसी भी तरह से फेंकी गई चीजों, गिरे हुए सामान, या फिर छोड़े गए मछली पकड़ने के गियर (एएलडीएफजी) को ढूंढने और पुनर्चक्रण सहित इस तरह की तमाम गतिविधियों पर जोर दिया गया क्योंकि एक सिंगल एएलडीएफजी ही 600 वर्षों तक समुद्र में रह सकता है। एनसीएससीएम के विशेषज्ञों द्वारा प्लास्टिक प्रदूषण, विशेष रूप से समुद्री वातावरण में माइक्रोप्लास्टिक्स, साथ ही खाद्य श्रृंखला में उनके जैव संचय का उल्लेख किया गया। आयोजन के हिस्से के रूप में, एनसीएससीएम के कर्मचारियों ने मत्स्य आखेट करने वाले समुदाय को मछली पकड़ने से संबंधित कूड़े (एफआरएल) को नियंत्रित करने के लिए प्रबंधन रणनीतियों की आवश्यकता पर प्रकाश डाला, मछुआरों को तट-आधारित स्वागत सुविधाओं (आरएफ) में एफआरएल को वापस लाने के उद्देश्य से प्रोत्साहित करने के लिए स्वच्छ समुद्र की पहल जैसे “स्वच्छता के साथ मछली पकड़ना” और चक्रीय अर्थव्यवस्था के उपाय के रूप में एंड-ऑफ-लाइफ (ईओएल) मछली पकड़ने के गियर को इकट्ठा करना और समुद्री वातावरण में प्लास्टिक लूप को बंद करना जैसी लाभदायक गतिविधियों से अवगत कराया गया। इस जन जागरूकता अभियान का उद्देश्य सामूहिक कार्रवाई और बड़े पैमाने पर सामुदायिक सहभागिता (जनभागीदारी) के माध्यम से महासागरों के स्वास्थ्य में सुधार करना है।

समुद्री कचरे के पारिस्थितिक प्रभाव को महसूस करने के बाद, स्थानीय मछली पकड़ने वाले समुदाय समुद्र तट की सफाई के लिए एनसीएससीएम टीम का हिस्सा बन गए हैं। इस आयोजन के माध्यम से मछुआरों को उनके पर्यावरण, जैव विविधता, आवास और प्रकृति के साथ सद्भाव में रहने की आवश्यकता के बारे में व्यापक रूप से प्रशिक्षित किया गया। इस दौरान कचरा प्रबंधन रणनीतियों पर चर्चा की गई, जिनमें गंदगी में कमी लाना, समुद्र तटीय पर्यावरण प्रबंधन और पर्यावरण हितैषी शिक्षा के माध्यम से गंदगी फैलाने के व्यवहार में बदलाव लाना शामिल है। इस आयोजन में भाग लेने वालों ने पर्यावरण की सुरक्षा के लिए लाइफ प्रतिज्ञा और हस्ताक्षर अभियान में भाग लिया। कार्यक्रम के भाग के रूप में, स्थानीय समुदाय को मिशन लाइफ के बारे में जानकारी प्रदान करने के उद्देश्य से समुद्र तट पर तख्तियां, पोस्टर और लाइफ शुभंकर प्रदर्शित किए गए थे।

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