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CM केजरीवाल के आवास का होगा CAG ऑडिट, गृह मंत्रालय ने दी मंजूरी

गृह मंत्रालय ने CM अरविंद केजरीवाल के आवास के निर्माणपर सीएजी ऑडिट के लिए दिल्ली के उपराज्यपाल की सिफारिश को मंजूरी दे दी इससे अब CM केजरीवाल की मुश्किलें बढ़ सकती है बताया जा रहा है कि भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) 6, फ्लैग स्टाफ रोड सिविल लाइन्स स्थित केजरीवाल के आधिकारिक आवास के रिनोवेशन में अनियमितताओं का विशेष ऑडिट करेंगे।
आरोप है कि आवास के रिनोवेशन में प्रशासनिक और वित्तीय अनियमितताएं हुई है इस संबंध में प्राप्त शिकायत के बाद उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने मुख्य सचिव नरेश कुमार को जांच रिपोर्ट सौंपने को कहा था 24 मई को उपराज्यपाल कार्यालय ने मुख्य सचिव की जांच रिपोर्ट को आगे की कार्रवाई के लिए गृह मंत्रालय को भेज दिया था इस रिपोर्ट में मुख्यमंत्री के नाम पर आधिकारिक आवास के रिनोवेशन में वित्तीय अनियमितताएं की बात कही गई थी।

मुख्य सचिव की रिपोर्ट CM केजरीवाल के सरकारी आवास के नवीनीकरण के मामले पर उपराज्यपाल ने मुख्य सचिव नरेश कुमार को जांच के आदेश दिए थे। मुख्य सचिव द्वारा सौंपी गई जांच रिपोर्ट में प्रथम दृष्टया यह अनियमितताएं पाई गई हैं जिस पर अब CAG विशेष जांच करेगी।

(1) निर्माण कार्य की शुरुआती लागत 15-20 करोड़ रुपए थी हालांकि, इसे समय-समय पर बढ़ाया गया था और रिपोर्ट के अनुसार, अब तक कुल 52,71,24,570/- रुपये (लगभग 53 करोड़ रुपये) खर्च किए गए हैं जो प्रारंभिक अनुमान से 3 गुना से अधिक है।

(2) रिकॉर्ड से पता चलता है कि प्रमुख सचिव (पीडब्ल्यूडी) से अनुमोदन से बचने के लिए जिन्हें 10 करोड़ रुपये से अधिक की वित्तीय मंजूरी देने की शक्तियां सौंपी गई हैं, प्रत्येक अवसर पर 10 करोड़ रुपये से कम की राशि की विभाजित मंजूरी को जानबूझकर प्राप्त किया गया था।

(3) दिल्ली के मास्टर प्लान 2021 का उल्लंघन है, जो भूमि और स्थानिक विकास/पुनर्विकास के मामलों में भूमि का कानून है, यह सामने आया है।

(4) दिल्ली वन संरक्षण अधिनियम, 1994 के अनुसार, 10 से अधिक संख्या के पेड़ों की कटाई/प्रत्यारोपण के लिए सक्षम प्राधिकारी की मंजूरी प्राप्त करने से बचने के लिए, 9, 2, 6, 6 की कटाई/प्रत्यारोपण के लिए 5 बार विभाजित अनुमोदन लिया गया था यानी पांच बार में कुल 28 पेड़ हटाए गए पर्यावरण कानूनों के उल्लंघन से संबंधित यह मामला एनजीटी के समक्ष ओए 334/2023 में भी लंबित है रिपोर्ट में यह भी बताया गया है।

19 जून को विजिलेंस ने अफसरों को दिया था शोकॉज नोटिसः इससे पहले 19 जून को विजिलेंस विभाग ने इस संबंध में लोक निर्माण विभाग (PWD) के अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया था इसमें आवास के नवीनीकरण में हुए घोटाले से संबंधित जवाब मांगा गया विजिलेंस की रिपोर्ट के अनुसार, आवास के नवीनीकरण में कुल 52.71 करोड़ रुपए लगे 52.71 करोड़ रुपए की लागत में 33.49 करोड़ रुपए आवास निर्माण पर और 19.22 करोड़ रुपये मुख्यमंत्री के कैंप कार्यालय पर खर्च किए गए।

जिन अफसरों को नोटिस दिया गया था उसमें असिस्टेंट इंजीनियर रजत कांत, एग्जीक्यूटिव इंजीनियर शिवनाथ धारा, चीफ इंजीनियर पीके परमार और चीफ इंजीनियर एके आहूजा शामिल हैं नोटिस में इनसे पूछा गया कि आखिर किसके कहने पर इस प्रोजेक्ट पर काम शुरू किया गया पूरे प्रोजेक्ट पर कितना खर्च आया और कार्य के दौरान अलग-अलग विभागों से एनओसी क्यों नहीं ली गई।

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