द इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया (ICAI) ने CA फाइनल और इंटरमीडिएट मई 2023 का रिजल्ट जारी कर दिया है।
इसमें जयपुर के 5 स्टूडेंट्स ने भी टॉप 50 में जगह बनाई है। इनमें से कुछ टॉपर्स के यहां तक पहुंचने का सफर इतना आसान नहीं था। ऑल ओवर इंडिया 42वीं रैंक हासिल करने वाली प्रिया अग्रवाल जिस हाथ से पेपर देने वाली थीं, एग्जाम से ठीक पहले उनके हाथ से काम करना बंद कर दिया था।
वहीं, विशेष काबरा की ऑल ओवर इंडिया 33वीं रैंक आई है। उनका ऑडिट का पेपर इतना बिगड़ गया था कि परेशान होकर उन्होंने एग्जाम नहीं देने फैसला कर लिया था। इंटरमीडिएट में अलवर इंडिया 16वीं रैंक हासिल करने वाली हर्षिका खंडेलवाल ने एग्जाम से पहले ही पैनिक अटैक का शिकार हो गई थीं।
ग्जाम से पहले हाथ ने काम करना कर दिया बंद- प्रिया
ऑल ओवर इंडिया 42वीं रैंक हासिल करने वाली जयपुर की प्रिया अग्रवाल ने बताया कि CA बनने तक का सफर मेरे लिए किसी ख्वाब से कम नहीं था। मैं पिछले साल CA एग्जाम की अच्छे से तैयारी कर नवंबर में एग्जाम देने वाली थीं। मैंने फर्स्ट पेपर (FR) का दे भी दिया था, लेकिन सेकेंड पेपर से ठीक पहले मेरे सीधे हाथ में अचानक दर्द हुए। कुछ ही देर में मेरे हाथ ने काम करना बंद कर दिया।
उस वक्त मैं कुछ भी समझ पाती तब तक मेरा सीधा हाथ ही जाम हो गया, जिससे मैं एग्जाम में लिखने वाली थी। मेरी इस हालत में पूरी फैमिली को परेशान कर दिया। हम जयपुर के बेस्ट डॉक्टर के पास गए। उन्होंने मेरा टेस्ट करके बताया कि मेरे हाथ में मसल पाजम नाम की बीमारी हो गई है। इसमें बॉडी पार्ट जाम हो जाता है।
रोते-रोते दिया था पेपर
CA के सेकेंड एग्जाम में सिर्फ दो दिन का वक्त बचा था। तब डॉक्टर ने मेरे हाथ पर प्लास्टर बंधा दिया। उस वक्त मेरी इस प्रॉब्लम ने मुझे तोड़ कर रख दिया था, क्योंकि मैं चाहकर भी अच्छे से नहीं लिख पा रही थी। मैंने हिम्मत नहीं हारी। उस वक्त मैंने प्लास्टर बंधे हाथ से ही एग्जाम देने का फैसला किया। मेरी फैमली इसके लिए राजी नहीं थी। उन्होंने मुझे काफी समझाया की एक एग्जाम जिंदगी डिसाइड नहीं करेगा।
मैंने किसी की नहीं सुनी। इसके बाद प्लास्टर बंधे हाथ से ही सेकेंड और थर्ड पेपर भी दिया। फोर्थ पेपर में मेरी हालत काफी बिगड़ गई। जब मैं पेपर दे रही थी। तब दर्द से लगातार मेरी आंखों से आंसू गिर रहे थे। उस दिन एग्जाम के दौरान ही मेरी राइट साइड की बॉडी में स्वेलिंग (सूजन) आ गई। इसके बाद जब मेरी बॉडी ने मुझे सपोर्ट करना बंद कर दिया। तब मैंने एग्जाम नहीं देने का फैसला किया।
फैमिली की वजह से पहुंची यहां तक
उसके बाद मैं अपने ही फैसले से परेशान रहने लगी थी। उस एक फैसले ने मुझे तोड़ कर रख दिया था। मेरी जिंदगी के सभी सपनों को चकनाचूर कर दिया था। इसके बाद मैं पूरी तरह हताश और निराश रहने लगी। बिना मेरी गलती के न जाने कैसे मेरा हाथ खराब हो गया था। उस वक्त मेरी फैमिली ने मेरा पूरा सपोर्ट किया। मेरे पेरेंट्स ने मुझे बूस्टअप किया।
फिर मैंने एक्सपर्ट डॉक्टर से ट्रीटमेंट शुरू करवाया। जहां मुझे पता चला कि यह बीमारी धीरे-धीरे सिर्फ फिजियोथैरेपी से ही कम और खत्म हो सकती है। तब से आज तक मैं हर दिन फीजियोथेरैपी लेती हूं। इस साल भी CA एग्जाम के दौरान भी मैंने फीजियोथेरैपी ली थी। ताकि में आसानी से अपना पेपर दे सकूं।
उसी का रिजल्ट है कि आज मैं देश के टॉप 50 स्टूडेंट्स में शामिल हूं। फ़िलहाल मेरी बीमारी अभी खत्म नहीं हुई है। डॉक्टर्स ने मुझे सख्त सलाह दे रखी है कि अगले 2 साल तक मुझे हर दिन फीजियोथेरैपी करानी है। उससे ही यह बीमारी धीरे-धीरे खत्म होगी। मुझे अब जिंदगी जीने का एक मकसद मिल गया है।
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